बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

ग्वार गम पहुंच गया 60 हजार के पार

वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) की कोशिशों को मुंह चिढ़ाते हुए ग्वार गम का भाव निर्यात के झोंके से आज 60,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गया। इसके सभी वायदा सौदे आज अपर सर्किट में फंसे रहे, लेकिन विदेश से जबरदस्त मांग को देखते हुए कीमतों में कमी फिलहाल संभव नहीं दिख रही।
पिछले एक साल में ग्वार गम की कीमत 625 फीसदी और ग्वार सीड के दाम 550 फीसदी चढ़ चुके हैं।
नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में आज इन पर 4 फीसदी का अपर सर्किट भी लगा। फिर भी ग्वार गम का अप्रैल अनुबंध 60,458 रुपये प्रति क्विंटल पर और गवार सीड 18,700 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गया।
ग्वार की सबसे बड़ी मंडी जयपुर में भी ग्वार गम की कीमत 60,000 रुपये को छू गई। यह आलम तब है, जब एफएमसी इस पर मार्जिन बढ़ा चुका है और खरीदारी की सीमा कम कर चुका है। कुछ कारोबारियों को वायदा कारोबार से बाहर भी कर दिया गया है, लेकिन ग्वार थमने का नाम नहीं ले रहा। ग्वार की कीमत असल में निर्यात मांग पर बढ़ रही हैं। अप्रैल-नवंबर 2010 में 2.28 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था, जो आंकड़ा अप्रैल-नवंबर 2011 में 194 फीसदी बढ़कर 6.7 लाख टन पर पहुंच गया। कीमतें बढऩे के कारण पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों में 6,24,877 लाख रुपये के ग्वार गम का निर्यात हुआ, जो रकम अप्रैल-नवंबर 2010 के मुकाबले 331 फीसदी अधिक रही।
ऐंजल कमोडिटी की वेदिका नार्वेकर कहती हैं कि नवंबर महीने में ही 3.3 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ और तभी से उसकी कीमतें दौडऩे लगीं। उन्होंने कहा कि इस साल उत्पादन घटने की आशंका है और विदेशी मांग बढ़ रही है, इसलिए कीमत काबू में आना मुश्किल है। सरकारी अनुमान के मुताबिक ग्वार के सबसे बड़े उत्पादक राजस्थान में पिछले साल के 15 लाख टन के बजाय इस बार 12.09 लाख टन उत्पादन ही होगा। पिछले साल का स्टॉक भी 1.5-2 लाख टन है, जो आम तौर पर 4-4.5 लाख टन रहता है। ऐसे में ग्वार की कीमत अभी 70-80 फीसदी और बढ़ सकती है