बिजनेस भास्कर जयपुर
प्रदेश के अधिकतर संभागों में पाला पडऩे व मावठ के नहीं होने से उत्पादन घटने के आसार है। बिजाई लक्ष्य जैसे तैसे पूरा करने वाले कृषि विभाग ने उत्पादन प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं कलेक्टर की ओर से की जाने वाली जनसुनवाई में अभी से किसान फसल प्रभावित होने से मुआवजे की मांग करने लगे है।
गौरतलब है कि खरीफ सीजन में बेहतर पैदावार से खिले किसान मावठ नहीं होने से मायूस तो थे ही, जनवरी अंत व फरवरी के पहले सप्ताह में पाले ने फसल को नुकसान पहुंचाया है। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार तय लक्ष्य से करीब 30 फीसदी कम उत्पादन रहने की संभावना है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मावठ नहीं होने से प्रदेश में अगेती व खासकर सरसों व चना की उत्पादकता को प्रभावित किया है।
ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि संभावित पैदावार पर औसतन बीस फीसदी का प्रभाव पड़ेगा। वहीं पाला पडऩे से 10 फीसदी का अतिरिक्त नुकसान किसानों को होगा। जिन फसलों में अभी बीज पड़ चुके है या फिर फूल आ रहे है उनको तेज ठंड व पाले से नुकसान पहुंचा है।
कृषि भवन के सांख्यिकी विभाग के अनुसार फिलहाल संभावित नुकसान का सटीक आंकलन लगाना कठिन है। सबसे अधिक प्रभावित सरसों की फसल हुई है। इसका अनुमानित उत्पादन लक्ष्य 35.30 लाख टन रखा गया है। जबकि पिछले सीजन में अग्रिम अनुमान ही 38.61 लाख टन रखा गया था। इस सीजन में चने की बंपर पैदावार की उम्मीद कर रहे किसानों की उम्मीदों पर भी मावठ की कमी कहर बन सकती है।
कृषि विभाग के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी जीसी माथुर ने बताया कि रबी 2012 के उत्पादन अनुमान अग्रिम अनुमानों में बिजाई क्षेत्रफल घटने से कम रखे गए है।
किसानों ने इस बार सरसों व सब्जियों की बिजाई में अधिक रुचि दर्शाई है। इस सीजन में गेहूं का उत्पादन अग्रिम अनुमानों के आधार पर 85,46,503 टन रहने का अनुमान है। जौ का कुल उत्पादन 8,71,586 टन संभावित है। चना 14,75,811 टन व तारामीरा 1,97,097 टन रहने का अनुमान है।
सबसे अधिक उत्पादन सरसों का रहेगा, इस रबी सीजन में सरसों का 35,30,586 टन उत्पादन राज्य में रहने की संभावना है।
बगरू के किसान रामजीलाल ने बताया कि इस बार मावठ देरी से होने से सरसों के उत्पादन पर असर पड़ेगा। बीज की मोटाई पर असर पड़ा है