गुरुवार, 1 मार्च 2012

दबाव से फसल मुआवजे पर हो सकती है घोषणा

पाले और शीतलहर से खराब हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा राज्य सरकार मार्च माह के पहले सप्ताह में कर सकती है। हालांकि इसके लिए गिरदावरी रिपोर्ट का इंतजार है। पांच मार्च तक प्रदेश के सभी संभागों में गिरदावरी रिपोर्ट संकलित होने की संभावना है।


हालांकि किसान गिरदावरी रिपोर्ट से पहले ही तत्काल सहायता देने की मांग कर रहे हैं। विधानसभा में भी यह मामला सत्र की शुरुआत से गरमाया हुआ है। विपक्ष की नेता वसुंधरा राजे ने कहा कि विपदा के समय किसानों के आंसू पोंछना सरकार का काम है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों को मुआवजा दे।


भाजपा के राजेंद्र सिंह राठौड़ ने पाले और शीतलहर से पूरे प्रदेश में किसानों की फसल चौपट होने का मुद्दा उठाया हुआ है। उन्होंने ने कहा कि पिछली सरकार की तर्ज पर इस बार भी किसानों को पैकेज दिया जाना चाहिए।


हालांकि मुआवजे की मांग पर आपदा राहत राज्य मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला का कहना है कि भाजपा सरकार के समय सीआरएफसे किसानों को जो पैकेज दिया गया था। उसका अब तक ऑडिट पैरा लंबित पड़ा है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के अनुसार प्रदेश में 5 मार्च तक गिरदावरी पूरी करवा दी जाएगी। इसके बाद ही राज्य सरकार पाला और शीत लहर से रबी फसल को हुए नुकसान के संबंध कोई घोषणा करेंगी।


गौरतलब है कि खरीफ सीजन में बेहतर पैदावार से खिले किसान मावठ नहीं होने से मायूस तो थे ही, जनवरी अंत व फरवरी के पहले सप्ताह में पाले ने फसल को नुकसान पहुंचाया है। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार तय लक्ष्य से करीब 30 फीसदी कम उत्पादन रहने की संभावना है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मावठ नहीं होने से प्रदेश में आगेती व खासकर सरसों व चना की उत्पादकता को प्रभावित किया है।


ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि संभावित पैदावार पर औसतन बीस फीसदी का प्रभाव पड़ेगा। वहीं पाला पडऩे से 10 फीसदी का अतिरिक्त नुकसान किसानों को होगा।


जिन फसलों में अभी बीज पड़ चुके है या फिर फूल आ रहे है उनको तेज ठंड व पाले से नुकसान पहुंचा है। कृषि भवन के सांख्यिकी विभाग के अनुसार फिलहाल संभावित नुकसान का सटीक आंकलन लगाना कठिन है। सबसे अधिक प्रभावित सरसों की फसल हुई है। इसका अनुमानित उत्पादन लक्ष्य 35.30 लाख टन रखा गया है।


जबकि पिछले सीजन में अग्रिम अनुमान ही 38.61 लाख टन रखा गया था। इस सीजन में चने की बंपर पैदावार की उम्मीद कर रहे किसानों की उम्मीदों पर भी मावठ की कमी कहर बन सकती है।


कृषि विभाग के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी जी सी माथुर ने बताया कि रबी 2012 के उत्पादन अनुमान अग्रिम अनुमानों में बिजाई क्षेत्रफल घटने से कम रखे गए है। किसानों ने इस बार सरसों व सब्जियों की बिजाई में अधिक रुचि दर्शाई है। इस सीजन में गेहूं का उत्पादन अग्रिम अनुमानों के आधार पर 85,46,503 टन रहने का अनुमान है।


जौ का कुल उत्पादन 8,71,586 टन संभावित है। चना 14,75,811 टन व तारामीरा 1,97,097 टन रहने का अनुमान है। सबसे अधिक उत्पादन सरसों का रहेगा, इस रबी सीजन में सरसों का 35,30,586 टन उत्पादन राज्य में रहने की संभावना है